इज्ज़त की कमाई
रिश्तों में उल्झे रहे
ज़िन्दगी को लोगों में बांटते गए
उसकी हसीं ,इसकी ख़ुशी में
झलकने के लिए जीते रहे
किसी को खफ़ा करके
उससे ज्यादा आंसू बहाये
बेगानों से भी प्यार करते गए
मोहब्बत को सींचने में पसीना बहाते गए
कल, मर भी जाए तो कोई गिला नहीं हुज़ूर
किसी न किसी की यादों में , ज़िंदा रहेंगे ज़रूर
बच्चे मेरे, कुछ ज्यादा नहीं
बस चार रिष्तें इज़्ज़त के कमाए हैं मैंने
यहीं दौलत होगी मेरी तुम्हारे लिए
५००, १००० के नोटों की तरह
इन्हें बरखास्त न कर पायेगा कोई मोदी
रिश्तों में उल्झे रहे
ज़िन्दगी को लोगों में बांटते गए
उसकी हसीं ,इसकी ख़ुशी में
झलकने के लिए जीते रहे
किसी को खफ़ा करके
उससे ज्यादा आंसू बहाये
बेगानों से भी प्यार करते गए
मोहब्बत को सींचने में पसीना बहाते गए
कल, मर भी जाए तो कोई गिला नहीं हुज़ूर
किसी न किसी की यादों में , ज़िंदा रहेंगे ज़रूर
बच्चे मेरे, कुछ ज्यादा नहीं
बस चार रिष्तें इज़्ज़त के कमाए हैं मैंने
यहीं दौलत होगी मेरी तुम्हारे लिए
५००, १००० के नोटों की तरह
इन्हें बरखास्त न कर पायेगा कोई मोदी
No comments:
Post a Comment