एक उमर बीत गयी
आप की तलाश में
पर यूँ ही पल भर में ,
पलक झपकते ही दूर होगये
इसे वक़्त का फरेब कहे
या मुक़द्दर का धोका
जो नसीब का है उसे शिद्दत से निभाएँगे
उन पाक लम्हों को इबादत बनाएंगे
दर्द ज़रूर है बिछड़ने का
पर फ़र्ज़ भी तो निभाना है
चंद पल का साथ भी काफी है
मुद्दतों , तक का , सहारा मिल गया
कितनी भी दूरी क्यों न हो
कभी फरिश्तों को बुला नहीं पाएंगे
आप हमारे लिए क्या हो
आपको कभी समजा नहीं पाएंगे
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