Friday, January 30, 2015

नाउम्मीद न हो मेरे दोस्त

नाउम्मीद न हो मेरे दोस्त 

 ग़ैरों के खुशियों का मातम न मनाओ
खैरात में किसी को कुछ नहीं है मिलना
नसीब अपना अपना सबको है कमाना !

किसी  के भी तक़दीर के खुदा    
तुम  बन नहीं  सकते
हाँ , अपने आने वाले कल की रचना
आज के कर्मों  से  ज़रूर  कर   सकते

हकीकत  से  समजौता  करलें
जो मिला है उसे मुक़द्दर मानले
क्या पता  आज के लिए
यही सही हो तुम्हारे  लिए

मन के  चैन  से बड़ा कोई तौफा नहीं
सबर से बड़ा कोई इम्तेहान नहीं
हार जीत तो बस धूप छाँव  हैं
एक ही सिक्के के दो पहलूँ है

नाउम्मीद न हो मेरे दोस्त
किस्मत थो  पल पल  आज़माएगी
एक दिन ऐसा भी ज़रूर  आएगा
जब वक़्त तुम्हे भी   नवाजेगा
 यहीं अंतिम सीख है ज़िन्दगी की
 तक़दीर   बदलते देर नहीं लगती
किस्मत  तो बेवफा है
ये कभी किसी एक  की
होके  रह नहीं सकती

   

Wednesday, January 28, 2015

एक उमर बीत गयी


एक उमर बीत गयी
आप की तलाश में
पर यूँ ही पल भर  में ,
पलक  झपकते ही दूर होगये
इसे वक़्त का फरेब कहे
या मुक़द्दर का धोका
जो नसीब का है उसे  शिद्दत से निभाएँगे
उन पाक लम्हों को इबादत बनाएंगे
दर्द ज़रूर है बिछड़ने का 
पर फ़र्ज़ भी तो निभाना है
चंद पल का साथ भी काफी है
मुद्दतों , तक का , सहारा  मिल  गया
कितनी भी दूरी क्यों न हो
कभी फरिश्तों को बुला नहीं पाएंगे
आप हमारे लिए  क्या हो
आपको कभी समजा  नहीं पाएंगे 






Thursday, January 1, 2015

NEW YEARS EV



न ईद है ना दीवाली है
फिर भी खुशियों का माहोल है
इसे संजोग कहो या मुक़द्दर
हम तुम, तुम हम जब साथ हो
तो हर दिन त्योहार है
खुशियों को यूँ ही बाटते, बटोरते रहना
ये आलम बनाए रखन मेरे दोस्तों
ना जाने कब ज़िंदगी की शाम आएगी
और हम सबको जुदा कर देगी
तब इन्ही लम्हों के सहारे
हम जुड़े रहेंगे, बंदे रहेंगे
एक दूसरे के दिल में ज़िंदा रहेंगे
गीले शिखवे छोड़ो
बस चंद पल का सात है
तक़दीर से ज़्यादा और वक़्त से पहले
किसी को कुछ नही है मिलना
अपने नसीब का हमे है खाना
आओ मिलके यादे बनाते है
एक हसीन शाम सजाते है
नया साल मुबारक हो आप सबको
WISHING YOU A VERY BRIGHT 2015.