Monday, December 9, 2013

नादान ये किसी और का खेल है



ये और कुछ नहीं

बस वक़्त का तमाशा है

न ज़िन्दगी इज़ाज़त लेके आती है

न जान दस्तक देके जाती है


तसल्लि के लिए रिष्ते जोड़ते है

बनते बिगड़ते रिश्तों में दिल को उलझाते है


नादान ये किसी और का खेल है

ज़्यादा अपनापन न जथा

दिल लगाने की न करना थू कथा

कोई  नहीं तेरा यहाँ

अकेला आया है

अकेला ही जायेगा


इसे चार पल की मस्ती समज  ले

ईमानदारी से अपना किरदार निभा ले

अधूरा काम कुछ भी न छोड़

मौत का इत्तला  यहाँ नहीं मिलता

कब खेल खत्म होगा पता भी न चलता


हिम्मत है थो कुछ ऐसा कर

वक़्त पे अपना चाप इस कदर छोड़

भूल न सके ज़माना तुझको

ऐसे साकार अपने जनम को तू कर

बस इसके आगे तेरा कुछ नहीं

हाँ , चाह के भी दुनिया मीठा न सकेगी

तेरी हिम्मत और हुनर  क  फ़साना


ये और कुछ नहीं

बस वक़्त का ही तमाशा है

न ज़िन्दगी इज़ाज़त लेके आती है

न जान दस्तक देके जाती है

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