ये और कुछ नहीं
बस वक़्त का तमाशा है
न ज़िन्दगी इज़ाज़त लेके आती है
न जान दस्तक देके जाती है
तसल्लि के लिए रिष्ते जोड़ते है
बनते बिगड़ते रिश्तों में दिल को उलझाते है
नादान ये किसी और का खेल है
ज़्यादा अपनापन न जथा
दिल लगाने की न करना थू कथा
कोई नहीं तेरा यहाँ
अकेला आया है
अकेला ही जायेगा
इसे चार पल की मस्ती समज ले
ईमानदारी से अपना किरदार निभा ले
अधूरा काम कुछ भी न छोड़
मौत का इत्तला यहाँ नहीं मिलता
कब खेल खत्म होगा पता भी न चलता
हिम्मत है थो कुछ ऐसा कर
वक़्त पे अपना चाप इस कदर छोड़
भूल न सके ज़माना तुझको
ऐसे साकार अपने जनम को तू कर
बस इसके आगे तेरा कुछ नहीं
हाँ , चाह के भी दुनिया मीठा न सकेगी
तेरी हिम्मत और हुनर क फ़साना
ये और कुछ नहीं
बस वक़्त का ही तमाशा है
न ज़िन्दगी इज़ाज़त लेके आती है
न जान दस्तक देके जाती है
No comments:
Post a Comment