Wednesday, December 4, 2013

फिर मिलेंगे




यारों की यारी
 दोस्तों की दिल्लगी
CANTEEN की मस्ती
थकने   के बाद  भी   चुस्ती

बहोत याद  आएंगे ये दिन
जब बिछड़ेंगे हम तुम

अनजान रास्तों में
मंज़िल की तलाश में
दुनिया को जीतने
कुछ ऐसा कर दिखाने
निकल पड़ना है हमे

हर ऊंचाई को छोटा करने
अपने लिए एक नया मकाम  बनाने
गुरु जन का सर ऊँचा करने
एक मिसाल बनके छाने
निकल पड़ना है हमे

 वादा मेरा है  दोस्तों  ये तुमसे
जब मिलेंगे हम तुम फिर किसी  मोड पे
तुमको तुम्हारी दोस्ती पे फक्र हो
तराशूंगा , ऐसा मैं , अपने आप को


यारों की यारी
 दोस्तों की दिल्लगी
CANTEEN की मस्ती
थकने   के बाद  भी   चुस्ती

बहोत याद  आएंगे ये दिन
जब बिछड़ेंगे हम तुम


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