अगर तुम साथ न होते
अगर तुम साथ न होते
थो ज़िन्दगी इतनी हसीन न होती
खुद पर ऐतबार न होता
अपने मुक़द्दर पे फक्र न होता
मेरे लिए ये आलम न होता
खुशियों की पहचान न होती
घम में मिठास न होता
मंज़िल से मुलाक़ात न होती
थो मई , मई न होती
मुझसे मेरी रूबरू न होती
तुम्हे बनाकर खुदा ने
अपने हुनर का सबूत पेश किया
अगर तुम साथ न होते
थो मेरी ज़िन्दगी इतनी हसीं न होती
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