Tuesday, April 23, 2019

फिर मिलेंगे , अलविदा।


 फिर मिलेंगे , अलविदा।


मुझे पता भी न था की इस क़दर
खींची चली जाउंगी तुम्हारी ओर
कई लम्हे बटोरे है मैंने
चंद पलों के इस इत्तेहाद  में
इन लमहों को उम्मीद के दागे में फिरोके
दिल के किसी कोने में सजाके रखूँगी

अब तो ज़िंदगी की हर ख़ुशी  
में तुम शामिल रहोगे
तुम्हारे नाम से सुबह शुरू करुँगी
और तुम्हें आँखों में भरके शब्  काटूंगी
ऐसे ही बीतेंगे अब मेरे दिन और रात
अगर तुम्हें जाना ही है तो
फिर लौट आने का इरादा
और मिलने   का वादा करते हुए जाना

याद रखना
कभी अचानक अगर कोई आहट सी हो
और तुम नींद से यूँ ही जाग जाओगे
तो यक़ीनन वो दस्तक मेरी ही होगी
 एक पल मुस्कुराके   फिर सो जाना
अब इसकी आदत सी डाल लेना
क्योंकि मेरे पैगाम आते रहेंगे
और तुम्हे यूँ ही जगाते रहेंगे

बस ऐसे ही ज़िंदा रख पाएंगे हम
हमारे इस गुमनाम रिश्ते को

फिर मिलेंगे
अलविदा।
२१.०४.२०१९

No comments:

Post a Comment