Wednesday, April 20, 2016

तुम लौट आना

तुम लौट आना 
जो यादें दिल में कैद हैं
वो पिगल रहे है , ओझल हो रहे है  
पिगलके मुझे किश्तों में ज़िन्दगी दे रहे  है 
इन  साँसों को बरकररा रखने 
नई  यादें बनाने आजाना 
कुछ लम्हों को अमर करने  आजाना 
मेरी यादें तुम्हारी राह देख रही हैं 
मेरी साँसे तुम्हारी राह देख रही है 
ढलता हुआ सूरज मेरी और देखके 
इशारों में कहता है, कल सुबह उसे लेके आऊंगा 
चाँद बादलों के बीचमें से झांकते हुए
 मेरे ऊपर रात बर नज़र रखता हैं 
हर सुबह पंछी खिड़की पे बैठके
मेरे कमरे में  तुम्हे ढूंढ़ता है 
मेघ गरजते है बरसते है
 मेरे सात सात रोते हैं
बिस्तर की सिलवटे भी तुम्हारी राह देख रही है 
 इस दिल को संभालने , समजाने आजाना 
 हम सब के लिए एक बार आजाना 
नई  यादें बनाने आजाना 
तुम्हारी राह देख रही हूँ 
जल्दी लौट आना 

Tuesday, April 19, 2016

न जाने क्यों खुदा ने मुझे इस काबिल समजा



न  जाने क्यों   खुदा ने मुझे इस काबिल  समजा
न जाने क्यों वो तुम बनके मेरे पास आए
न जाने क्यों अपने होने  का सबूत ,उन्हें मुझे  देना पड़ा
 शायद इसी  मेहरबानी के बहाने,  मेरा  कोई क़र्ज़ उतार रहे थे  ??


 कहीं ये कोई ख्वाब तो नहीं ,  मज़ाक  तो नहीं ?
 पर तुम सच हो तो , वो  सच है
तुम नहीं तो,  मेरे लिए वो बी नहीं

यकीन है मुझे की तुम , मेरे से ज्यादा उनकी ज़रुरत हो
अपने आप को साबित करने का उनका  एक जरिया हो !
ये एहसान तेरा बरकरार रखना मुझपे  खुदा
बाकि हर तेरा इम्तेहान और शर्त मंज़ूर है मुझे ,