Tuesday, June 30, 2015

थो क्या हुआ , आज हमे बिछड़ना पड़ा थो !!



 कहाँ अपनी मुक़द्दर  के  मालिक हम हैं
कहाँ आने वाले  कल  से वाकिफ हम हैं 

हमारे  रास्ते मिलेंगे फिर किसी  मोड पे  
हम यूँही टकराएंगे एक  नए डगर पे 
 तुम्हे ये झूठा  दिलासा भी  मैं कैसे दूँ 
गर मर्ज़ी मेरी चलती यहाँ 
थो समझौता वक़्त से आज  न  करता मैं 

 ये चाहत बरकरार रहेगी ,जूनून भी   ज़िंदा रहेगा 
और  वक़्त के सात जंग भी जारी  रहेगा 
देखते  है ,  दाग किसपे लगता है  
और कौन सबसे पहले  शिखस्त होता है 

कल फिर हम   मिले न मिले 
पर वक़्त के जीत में, उसे हार दिखाएंगे 
 पल भर के  लिए भी जुदा न होंगे 
एक दूसरे  के दिल में धड़कते रहेंगे 
बरसात में  बारिश बनके प्यार  बरसाएंगे 
रातों में  ठंडी हवा  बनके लिपट जाएंगे 
न इंतज़ार करेंगे  , न मायूस होंगे 
ज़िन्दगी के सफर पे चलते रहेंगे
शिद्दत से हर ज़िम्मेदाारी निभाएंगे
पल पल  इम्तेहान देंगे
वक़्त के लिए एक नया मिसाल बनेंगे

कल दिलों की कुर्बानी मांगने से पहले  कतरायेगा
इस कदर हमारे  साथ को हमेशा  ज़िंदा रखेगा
जीत के भी हारने का एक नया सबक सीखेगा
थो क्या हुआ ,आज हमे  बिछड़ना पड़ा थो !!
थो क्या हुआ,  आज  हमे बिछड़ना पड़ा थो !!









1 comment:

  1. लफ्ज, अल्फाज, कागज़ और किताब..!

    कहां- कहां नही रखा मैंने तेरी यादों का हिसाब...!!

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