Wednesday, March 1, 2017

तैयार हूँ ,चलो खेलो अपना अगला चाल

 

सिपाही हूँ ज़िन्दगी ,ये खेल तुम्ही से सीखा हूँ 
अस्त्र नहीं फेंकूँगा ,आखरी सांस तक लड़ूंगा
तुम तो खेल के परिणाम से अवगत हो
मेरा तो विश्वास और साहस का पुकार है
तुम कल को देख सकते हो, परख  सकते हो
मेरे कदम फिर भी नहीं लड़खड़ायेंगे 
ये मेहनत बोल रहा है , हिम्मत बोल रहा हैं
लगाओ अपना सारा दम मुझे हराने में ।
धर्म राज ,शकुनि , शिखण्डी 
अपनाओ चाहे किसी का भी कूटनीति
कृष्ण के कर्म सिद्धांतों को मानता हूँ
वाकिफ हूँ तुम्हारे हर दाव  पेच से
तैयार हूँ ,चलो खेलो अपना अगला चाल