पल पल इसका जशन मनाएंगे !
चार दिन का साथ हैं हमारापर ज़िन्दगी भर का सहारा मिल गया
दिल के एक कोने को फिर से ज़िंदा कर दिया
अनकहे अनसुने अरमानों का साज़ छेड़ गया
आपको पाने की उम्मीद नहीं, खोने का डर भी नहीं
आप न मुसाफिर हो, न हमसफ़र होन कोई बंदन है, न कोई रिश्ता है
न कोई नाम है, न कोई अंजाम है
बस अपनेपन का एहसास है, एक मिठास हैं
आपका साथ पाके ऎेसे लगा ,
जैसे तक़दीर अपना कोई भूल सुधार रहा हो
हमे आपसे मिलाके अपना फ़र्ज़ निभा रहा हो
खुदा के मनसूबे में हमारे सात का किरदार
छोटा सा ही सही
इस सात के जस्बे को हम तमाम उम्र निभाएंगे
और पल पल इसका जशन मनाएंगे !
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